वन्दना - संस्कृत खण्ड (कक्षा 5) भगवान श्री गणेश वन्दना, माँ सरस्वती वन्दना, गुरू कृपा के श्लोकों का हिन्दी अनुवाद एवं कठिन शब्दों के अर्थ
श्लोक 1 (इस श्लोक में भगवान गणेश जी की आराधना की गई है।)
लम्बोदर नमस्तुभ्यं, सततं मोदकप्रिय।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
शब्दार्थः
लम्बोदर = लम्बे पेट वाले ।
तुभ्यम् = तुमको ।
सततम् = निरन्तर ।
मोदकप्रिय = लड्डू पसन्द करने वाले
कुरु = करो।
मे = मुझे / मुझ को।
हिन्दी अनुवाद – भगवान श्री गणेशजी जो निरन्तर लड्डूओं का भोग पसन्द करते हैं। ऐसे लम्बे उदर (पेट) वाले भगवान श्रीगणेश जी को मेरा नमस्कार। हे देव ! आप मेरे समस्त कार्यों से विघ्न-बाधाओं (कठिनाइयों) को सदैव दूर करें।
श्लोक 2 (इस श्लोक में देवी सरस्वती जी की आराधना की गई है।)
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तु ते ।।
शब्दार्थः
महाभागे = महाभाग्यवती ।
कमललोचने = कमल के समान नेत्र वाली।
विद्यारूपे = विद्या की स्वरूप वाली।
देहि = दो ।
ते = तुमको/तुम्हें ।
हिन्दी अनुवाद – सरस्वती माँ जो महाभाग्यशालिनी, सर्वज्ञानी, कमल के समान चक्षुओं (आँखों) वाली, विद्या के स्वरूप वाली जिनके विशाल नेत्र हैं, ऐसी विद्या प्रदान करने वाली देवि सरस्वती आपको मेरा नमस्कार है।
श्लोक 3 (इस श्लोक में गुरु कृपा का वर्णन किया गया है।)
ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः, पूजामूलं गुरोः पदम् ।
मन्त्रमूलं गुरोर्वाक्यं, मोक्षमूलं गुरोः कृपा ।।
शब्दार्थः
ध्यानमूलम् = ध्यान का आधार ।
पदम् = चरण ।
मोक्षमूलम् = मुक्ति का आधार ।
हिन्दी अनुवाद – ध्यान का मूल आधार अर्थात केन्द्र गुरु की मूर्ति (गुरु का स्वरूप) होता है, पूजा का आधार अर्थात केन्द्र गुरु के चरण होते हैं, मन्त्र का आधार अर्थात मन्त्र का स्रोत गुरु के प्रवचन (गुरु वाक्य) होते हैं और मुक्ति का आधार अर्थात मुक्ति का मार्ग गुरु की कृपा होती है।
टीप - शिक्षक बच्चों को उपरोक्त इसको इस लोगों को कंठस्थ करवायें एवं हिंदी में अर्थ (अनुवाद) की जनकारी प्रदान करें।
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
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