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वन्दना (कक्षा 4 संस्कृत)


Text ID: 64
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वन्दना (संस्कृत खण्ड) कक्षा - 4 गणेश जी, लक्ष्मी जी, सरस्वती जी, भगवान कृष्ण और ज्योति श्लोकों का हिन्दी अर्थ।

कक्षा चौथी के संस्कृत खंड में विषय वस्तु इस प्रकार दी गई है—
अनुक्रमणिका
(अ) वन्दना
(आ) प्रथमः खण्डः
1.  वचनपरिचयः
(इ) द्वितीयः खण्डः
1. सर्वनामपरिचयः
2. सङ्ख्याज्ञानम्
(ई) तृतीयः खण्डः
1. विद्यालयपरिचयः
2. मम परिचयः
उक्त विषय वस्तु में से इस भाग में वंदना के अंतर्गत श्लोकों का शब्दार्थ सहित हिंदी अनुवाद यहां दिया गया है।

(अ) वन्दना

श्लोक 1—
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि-समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।। १ ।।

शब्दार्थः
वक्रतुण्ड = टेढ़ी सूँड वाले।
महाकाय = विशाल शरीर वाले।
सूर्यकोटि समप्रभ = करोड़ों सूर्य के समान तेज वाले।
निर्विघ्नम् = बाधा रहित।
सर्वकार्येषु = सभी कार्यों में।

श्लोक का हिन्दी अनुवाद — श्रीगणेश भगवान जो टेढ़ी सूँड़ वाले, विशाल शरीर वाले एवं करोड़ों सूर्यों के समान तेज (आभा) वाले हे श्रीगणेश जी ! आप विघ्न-बाधाओं को मेरे समस्त कार्यों से सदैव दूर करें।

श्लोक 2—
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ।। २ ।।

शब्दार्थः
कराग्रे = हथेली के अग्र भाग में।
वसते = निवास करती है।
करमूले = हथेली के मूल भाग पर। (जहां पर हथेली जुड़ी हुई होती है।)
प्रभाते = प्रातःकाल में (सबेरे)।
करदर्शनम् = हथेली के दर्शन करना या हथेली को देखना।

श्लोक का हिन्दी अनुवाद — हथेली के अग्र (आगे के) भाग में श्रीलक्ष्मी जी का वास होता है। मध्य भाग में माता सरस्वती (विद्या को देने वाली) निवास करती हैं; और मूल भाग में स्वयं भगवान गोविंद (श्री कृष्ण) निवास करते हैं। अतः प्रत्येक मनुष्य को प्रात:काल उठते ही अपनी हथेलियों का दर्शन करना चाहिए।

श्लोक 3—
शुभं करोतु कल्याणम् आरोग्यं गुणसम्पदम् ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।। ३ ।।

शब्दार्थः
शुभम् = अच्छा या मंगल।
आरोग्यम् = रोग रहित।
गुणसम्पदम् = गुण और सम्पत्ति को।
शत्रुबुद्धिविनाशाय = शत्रुता कराने वाली बुद्धि के विनाश के लिए।
ते = तुम्हे या तुमको।

श्लोक का हिन्दी अनुवाद — हे दीप ज्योति! आप सबका मंगल करने वाली, कल्याण करने वाली, आरोग्य अर्थात रोगों से मुक्त करने वाली, गुणों को बढ़ाने और सुख-सम्पदा को बढ़ाने वाली हैं। आप अनिष्टकारी (जो दूसरों का बुरा सोचती है) बुद्धि का नाश करने वाली हो। हे दीप-ज्योति ! आमको मेरा नमस्कार है।

टीप — शिक्षक शब्दार्थ के माध्यम से इन श्लोकों का भावार्थ करना छात्रों को सिखाया जाना चाहिए। साथ ही श्लोकों को कण्ठस्थ कराया जाना चाहिए।

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
Thank you.
infosrf
R. F. Temre (Teacher)