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वर्णों की उत्पत्ति संस्कृत छंद रचना पाठ-1 'डाल-डाल पर, ताल-ताल पर' संस्कृत स्वर वर्ण (प्लुत वर्ण) संस्कृत व्यञ्जन वर्ण ऋ और ऌ का उच्चारण संस्कृत वदतु (संस्कृत बोलिए) रिस्ते-नातों के संस्कृत नाम संस्कृत में समय ज्ञान संस्कृत में शुभकामनाएँ स्तुति श्लोकाः (कक्षा-6) प्रथमः पाठः- शब्दपरिचयः (6th संस्कृत) वन्दना (संस्कृत कक्षा 7) हिन्दी अर्थ प्रथमः पाठः चत्वारि धामानि अनुवाद अभ्यास वन्दना शब्दार्थ व भावार्थ (कक्षा 8 संस्कृत) प्रथमः पाठः लोकहितम मम करणीयम् मङ्गलम् प्रथमः पाठः भारतीवसन्तगीतिः द्वितीयः पाठः कर्तृक्रियासम्बन्धः द्वितीयः पाठः कालबोधः द्वितीयः पाठः कालज्ञो वराहमिहिरः मङ्गलम् प्रथमः पाठः शुचिपर्यावरणम् द्वितीयः पाठः 'बुद्धिर्बलवती सदा' तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः (भाग- 1) तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः (भाग- 2) तृतीयः पाठ: बलाद् बुद्धिर्विशिष्यते चतुर्थः पाठ: चाणक्यवचनानि चतुर्थः पाठ: सङ्ख्याबोधः पंचम: पाठः रक्षाबंधनम् द्वितीयः पाठः स्वर्णकाकः तृतीयः पाठः शिशुलालनम् तृतीयः पाठः गोदोहदम् (भाग -१) तृतीयः पाठः 'गोदोहनम्' (भाग - २) तृतीयः पाठः गणतन्त्रदिवसः चतुर्थः पाठः नीतिश्लोकाः वन्दना (कक्षा 3 संस्कृत) वन्दना (कक्षा 4 संस्कृत) वन्दना (कक्षा 5 संस्कृत) पञ्चमः पाठः अहम् ओरछा अस्मि चतुर्थः पाठः कल्पतरुः (9th संस्कृत) पञ्चमः पाठः 'सूक्तिमौक्तिकम्' (9th संस्कृत)










वन्दना (कक्षा 3 संस्कृत)


Text ID: 63
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वन्दना (कक्षा 3 संस्कृत) श्लोकों का हिन्दी में अनुवाद, शब्दार्थ एवं अभ्यास

श्लोक 1 —
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेवं ।। 1 ।।

हिन्दी अनुवाद — उक्त संस्कृत श्लोक में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! तुम ही माता हो और तुम ही पिता हो, तुम ही बन्धु हो और तुम ही मित्र हो। तुम ही विद्या हो और तुम ही धन हो. हे प्रभु! तुम ही मेरे सब कुछ हो। इस तरह ईश्वर को ही सब कुछ माना गया है।

शब्दार्थ (कठिन शब्दों के हिन्दी अर्थ)
त्वम् = तुम।
एव = ही।
बन्धुः = सम्बन्धी जन।
च = और।
द्रविणम् = धन या सम्पत्ति।
सर्वम् = सब कुछ।
मम् = मेरा या मेरे।
देव = प्रभु, ईश्वर या भगवान्।

श्लोक 2 —
सर्वे भवन्तु सुखिनः,
सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,
मा कश्चिद् दुखभाग् भवेत् ।। 2 ।।

हिन्दी अनुवाद — उक्त श्लोक में जगत कल्याण की भावना को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि— सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों। सभी कल्याण देखें, कोई दुःख का भागीदार ने हो। इस तरह वसुदेव कुटुंबकम की भावना यहां स्पष्ट की गई है।

शब्दार्थ (कठिन शब्दों के हिन्दी अर्थ)
सर्वे = सभी।
भवन्तु = हों।
सुखिन = सुखी।
सन्तु = हों।
निरामयाः = निरोगी (रोगरहित)।
भद्राणि = कल्याण।
पश्यन्तु = देखें।
मा = नहीं।
कश्चित =  कोई।
भवेत = हो।

विशेषः (संधि)
त्वमेव = त्वम् + एव।
बच्चश्च = बन्धुः + च।
कश्चिद =  कः + चित्।

टीप — शिक्षक बच्चों को उपरोक्त इसको इस लोगों को कंठस्थ करवायें एवं हिंदी में अर्थ (अनुवाद) की जनकारी प्रदान करें।

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
Thank you.
infosrf
R. F. Temre (Teacher)