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वर्णों की उत्पत्ति संस्कृत छंद रचना पाठ-1 'डाल-डाल पर, ताल-ताल पर' संस्कृत स्वर वर्ण (प्लुत वर्ण) संस्कृत व्यञ्जन वर्ण ऋ और ऌ का उच्चारण संस्कृत वदतु (संस्कृत बोलिए) रिस्ते-नातों के संस्कृत नाम संस्कृत में समय ज्ञान संस्कृत में शुभकामनाएँ स्तुति श्लोकाः (कक्षा-6) प्रथमः पाठः- शब्दपरिचयः (6th संस्कृत) वन्दना (संस्कृत कक्षा 7) हिन्दी अर्थ प्रथमः पाठः चत्वारि धामानि अनुवाद अभ्यास वन्दना शब्दार्थ व भावार्थ (कक्षा 8 संस्कृत) प्रथमः पाठः लोकहितम मम करणीयम् मङ्गलम् प्रथमः पाठः भारतीवसन्तगीतिः द्वितीयः पाठः कर्तृक्रियासम्बन्धः द्वितीयः पाठः कालबोधः द्वितीयः पाठः कालज्ञो वराहमिहिरः मङ्गलम् प्रथमः पाठः शुचिपर्यावरणम् द्वितीयः पाठः 'बुद्धिर्बलवती सदा' तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः (भाग- 1) तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः (भाग- 2) तृतीयः पाठ: बलाद् बुद्धिर्विशिष्यते चतुर्थः पाठ: चाणक्यवचनानि चतुर्थः पाठ: सङ्ख्याबोधः पंचम: पाठः रक्षाबंधनम् द्वितीयः पाठः स्वर्णकाकः तृतीयः पाठः शिशुलालनम् तृतीयः पाठः गोदोहदम् (भाग -१) तृतीयः पाठः 'गोदोहनम्' (भाग - २) तृतीयः पाठः गणतन्त्रदिवसः चतुर्थः पाठः नीतिश्लोकाः वन्दना (कक्षा 3 संस्कृत) वन्दना (कक्षा 4 संस्कृत) वन्दना (कक्षा 5 संस्कृत) पञ्चमः पाठः अहम् ओरछा अस्मि चतुर्थः पाठः कल्पतरुः (9th संस्कृत) पञ्चमः पाठः 'सूक्तिमौक्तिकम्' (9th संस्कृत) 'पुष्पाणां नामानि' (कक्षा 3) संस्कृत खण्ड अभ्यास फलानां नामानि कक्षा 3 (संस्कृत खण्ड) अभ्यास










द्वितीयः पाठः कालबोधः


Text ID: 45
2503

पाठ: कालबोध: (समय ज्ञान)
पाठ एवं इसका हिन्दी अनुवाद

शिष्य: ― महोदय ! रात्रिदिवसयोः विभाजनं कथं भवति?
हिन्दी अनुवाद ― महोदय ! रात और दिन का विभाजन कैसे होता है?

गुरुः ― पृथ्वी गोलाकारा विद्यते। एषा अहर्निशं केन्द्रे परिभ्रमति। यदा अस्याः यः भागः सूर्यस्य सम्मुखे भवति तत्र सूर्यस्य किरणाः पतन्ति तदा दिनं जायते। यस्मिन् भागे किरणा: न पतन्ति तत्र अन्धकारः भवति रात्रिश्च जायते। सूर्यः प्रातः पूर्वस्यां दिशि उदेति सायं च पश्चिमदिशि अस्तं गच्छति। एवं सूर्यस्य उदयानन्तरं दिनस्य अस्तानन्तरं च रात्रेः ज्ञानं भवति। दिवानिशांनुसारमेव जनाः विविधाः क्रियाः सम्पादयन्ति।
हिन्दी अनुवाद ― पृथ्वी गोल आकार की है। यह रात और दिन केन्द्र पर (अपनी कीली पर) घूमती है। जब इसका जो भाग सूर्य के सामने होता है, वहाँ सूर्य की किरणें गिरती हैं, तब दिन होता है। जिस भाग में किरणें नहीं गिरती हैं, वहाँ अंधेरा होता है और रात्रि हो जाती है। सूर्य प्रातःकाल पूर्व दिशा में उदित होता है और सायंकाल को पश्चिम दिशा में छिप जाता है। इस प्रकार, सूर्य के उदय होने के बाद और दिन के अस्त हो जाने के बाद रात्रि का ज्ञान हो जाता है। दिन और रात्रि के अनुसार ही मनुष्य अनेक प्रकार के कार्य पूर्ण किया करते हैं।

शिष्य: ― सप्ताहे कति दिनानि भवन्ति?
हिन्दी अनुवाद ― एक सप्ताह में कितने दिन होते हैं?

गुरुः ― सप्ताहे सप्त दिनानि भवन्ति। तेषां नामानि तु ― रविवासरः, सोमवासर:, मङ्गलवासरः, बुधवासरः, गुरुवासरः, शुक्रवासरः, शनिवासरः चेति।
हिन्दी अनुवाद ― एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। उनके नाम हैं― रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार तथा शनिवार।

शिष्य: ― वर्षे कति मासा:भवन्ति?
हिन्दी अनुवाद ― एक वर्ष में कितने महीने होते हैं?

गुरुः ― वर्षे द्वादश मासाः भवन्ति। तेषां नामानि तु ― चैत्रः, वैशाख:,ज्येष्ठ, आषाढः, श्रावणः, भाद्रपदः, आश्विनः, कार्तिकः, मार्गशीर्षः, पौष, माघ, फाल्गुनः चेति।
हिन्दी अनुवाद ― एक वर्ष में बारह महीने होते हैं। उनके नाम हैं ― चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन (क्वार), कार्तिक, मार्गशीर्ष (अगहन), पौष, माघ और फाल्गुन (फागुन)।

शिष्य: ― तिथयः कति भवन्ति?
हिन्दी अनुवाद ― तिथियाँ कितनी होती है?

गुरुः ― प्रतिपक्षं तिथयः पञ्चदश भवन्ति। यथा― प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पञ्चमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी,
नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, पूर्णिमा, अमावस्या वा।
हिन्दी अनुवाद ― प्रत्येक पक्ष (पाख) में पन्द्रह तिथियाँ होती हैं। जैसे प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दौज), तृतीया (तीज) चतुर्थी (चौथ), पञ्चमी (पाँचें), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातें). अष्टमी (आठें), नवमी (नौमी), दशमी, एकादशी (ग्यारस), द्वादशी, त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस,) पूर्णिमा (पूर्णमासी या पूनों) अथवा अमावस्या (अमावस)।

मासे द्वौ पक्षौ भवतः शुक्लपक्ष कृष्णपक्षे चेति। शुक्लपक्षे पूर्णिमा कृष्णपक्षे अमावस्या भवति। शुक्लपक्षे चन्द्र क्रमशः वर्धते। पूर्णिमायां सः पूर्णतां प्राप्नोति। सः पंचदशभि: कलाभिः पूर्णः भवति। कृष्णपक्षे च क्रमशः क्षयं प्राप्नोति। प्रतिदिनं तस्य एका कला क्षीयते। अमावस्यायां सः पूर्णरूपेण लुप्तः भवति।
हिन्दी अनुवाद ― महीने में दो पक्ष होते हैं― शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष में अमावस्या होती है। शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। पूर्णमासी को वह पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। वह पन्द्रह कलाओं से पूर्ण होता है और कृष्णपक्ष में क्रमश: क्षय (क्षीणता) को प्राप्त कर लेता है। प्रत्येक दिन उसको एक कला क्षीण हो जाती है। अमावस्या को वह पूर्ण रूप से छिप जाता है।

शिष्यः ― वर्षे कति ऋतवः भवन्ति?
हिन्दी अनुवाद ― वर्ष में कितनी ऋतुएँ होती हैं?

गुरुः ― चैत्रवैशाखयोः – वसन्तः, ज्येष्ठाषाढ्यो: – ग्रीष्मः, श्रावण भाद्रपदयोः – वर्षा, आश्विनकार्तिकयोः – शरद्, मार्गशीर्ष-पौषयोः – हेमन्तः, माघफाल्गुनो: – शिशिरः एवं षड् ऋतव भवन्ति। शिष्य ! एकादशतः विंशतिपर्यन्तं संख्यां गणय। 
हिन्दी अनुवाद ― चैत्र और वैशाख में बसन्त, ज्येष्ठ और आषाढ़ में ग्रीष्म, श्रावण और भाद्रपद में वर्षा, आश्विन और कार्तिक में शरद, मार्गशीर्ष (अगहन) और पौष में हेमन्त, माघ और फाल्गुन में शिशिर, इस तरह छः ऋतु होती हैं। हे शिष्य! ग्यारह से बीस तक की संख्या गिनो।

शिष्य: ― आम् ! एकादश द्वादश, त्रयोदश, चतुर्दश, पञ्चदश, षोडश, सप्तदश, अष्टादश, नवदश, विंशतिः।
हिन्दी अनुवाद ― जी हाँ! ग्यारह, बारह, तेरह, चौदह, पन्द्रह, सोलह, सत्रह अठारह उन्नीस बीस।

गुरु ― साधु वत्स ! सम्यगुक्तम्।
हिन्दी अनुवाद ― बहुत अच्छा वत्स! ठीक बताया है।)

शब्दार्था:

अहर्निशम = दिन और रात।
पक्षः = पखवारा (महीने का आधा भाग)।
क्षयम् = नाश,हानि को।
कला = शोभा (चन्द्रमा की कला)
गोलाकारा = गोल आकार की।

अभ्यास:

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत―
(एक शब्द में उत्तर लिखो।)
(क) सप्ताहे कति दिनानि भवन्ति ? 
(सप्ताह में कितने दिन होते हैं?)
उत्तर― सप्त।
(ख) कति तिथयः भवन्ति? 
(तिथियाँ कितनी होती हैं?)
उत्तर― पञ्चदश।
(ग) सूर्य कस्यां दिशि उदेति?
(सूर्य किस दिशा में उदय होता है?)
 उत्तर ― पूर्व।
 (घ) वर्षे कति मासाः भवन्ति?
(वर्ष में कितने महीने होते हैं?)
उत्तर ― द्वादश।
(ङ) चैवैशाखकः ऋतु भवति? 
(चैत्र वैशाख में कौन-सी होती है?)
उत्तर ― बसन्तः।

प्रश्न 2. एकवाक्येन उत्तरं लिखत―
(एक वाक्य में उत्तर लिखो।)
(क) माफाल्गुनयो: कः ऋतुः भवति?
(माघ और फागुन में कौन-सी ऋतु है।)
उत्तर― माथफाल्गुनयो: शिशिर ऋतु: भवति।
(माघ और फागुन में शिशिर ऋतु होती है।)
(ख) चन्द्रः कदा पूर्णता प्राप्नोति?
(चन्द्रमा पूर्णता को प्राप्त करता है?)
उतर― चन्द्र पूर्णिमायां पूर्णतां प्राप्नोति। 
(चन्द्रमा पूर्णमा की पूर्णता प्राप्त करता है।)
(ग) अमावस्या कस्मिन् पक्षे भवति?
(अमावस्या किस पक्ष में होतीहै?)
उत्तर― अमावस्या कृष्णपक्षे भवति।
(अमावस्या कृष्णपक्ष में होती है।)
(घ) कौ व्दौ पक्षौ भवतः?
(कौन से दो पक्ष होते हैं?)
उत्तर― शुक्लपक्षः, कृष्णपक्षः च इति पक्षौ भवत:।
(शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं।)

प्रश्न 3. समुचितं युग्मनिर्माणं कुरुत―
(उपयुक्त जोड़े बनाइए।)
―― (अ) ―――― (ब)
(क) श्रावणमासे ― (1) ग्रीष्मः
(ख) मार्गशीर्षमासे ― (2) शरद्  
(ग) चैत्रमासे ―― (3) शिशिर
(घ) आषाढमासे ― (4) वर्षा
(ङ) फाल्गुनमासे ― (5) वसन्त
(च) कार्तिकमासे ― (6) हेमन्तः
उत्तर ―
―― (अ) ―――― (ब)
(क) श्रावणमासे ― (1) वर्षा
(ख) मार्गशीर्षमासे ― (2) हेमन्तः
(ग) चैत्रमासे ― (3) वसन्त
(घ) आषाढमासे ― (4) ग्रीष्मः
(ङ) फाल्गुनमासे ― (5) शिशिर
(च) कार्तिकमासे ― (6) शरद्

प्रश्न 4. अधोलिखितेषु समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत―
(नीचे लिखे हुए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर खाली स्थानों को पूरा करो।)
(क) शुक्लपक्षे पूर्णिमा तिथिः भवति। (अमावस्या / पूर्णिमा)
(ख) ज्येष्ठमासानान्तरम् आषाढः मासः भवति। (श्रावण /आषाढः)
(ग) सप्ताहे सप्त दिनानि भवन्ति। (नव / सप्त)
(घ) शुक्लपक्षे चन्द्रः क्रमशः वर्धते। (क्षीयते / वर्धते)
(ङ) पक्षे तिथयः पञ्चदश भवन्ति। (षोडश/पञ्चदश)

प्रश्न 5. निम्नलिखितशब्दानां पर्यायशब्दान् लिखत―
(निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्दों को लिखो।)
(चन्द्रः, पृथ्वी, वासरः, निशा)
उत्तर―
(क) चन्द्र: ― शशि:, शशाङ्क।
(ख) पृथ्वी ― धरा, अचला। 
(ग) वासर: ― दिवस:, दिनम्।
(घ) निशा ― रजनी, राका। 

प्रश्न 6. पाठे आगतान् अव्ययशब्दान् चित्वा पञ्चवाक्यानि लिखत―
(पाठ में आये हुए अव्यय शब्दों को चुनकर पाँच
वाक्य बनाओ।)
उत्तर― अव्यय शब्द ― यदा, तदा, अत्र, तत्र, यथा।
वाक्य प्रयोग ― (1) यदा ― यदा सूर्य: उदेति, तदा अहम् व्यायामम् करोमि।
(2) तदा ― अहम् एकम् व्यालम् अपश्यत् तदा अहम् भयभीत:
जात:।
(3) अत्र ― अत्र आगच्छ।
(4) तत्र ― तत्र स: अगच्छत।
(5) यथा ― यथा स: निर्दिष्ट:तथा स: अकरोत।

प्रश्न 7. रिक्तस्थानानि पूरयत (नामानि क्रमेण लिखत)―
(रिक्त स्थानों को पूरा करो।) (नामों को क्रम से लिखिए।)
(क) वसन्तः, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर:।
(ख) शनिवासर:, रविवासरः, सोमवासरः, मङ्गलवासरः, बुधवासरः, गुरुवासरः, शुक्रवासरः।
(ग) चैत्रः, वैशाख, ज्येष्ठः, आषाढः, श्रावणः, भाद्रपदः, आश्विनः, कार्तिकः, मार्गशीर्ष, पौषः, माघः, फाल्गुनः।
(घ) एकादशः, द्वादश:, त्रयोदश, चतुर्दश, पञ्चदश, षोडशः, सप्तदश, अष्टादश, नवदश, विंशति।
(ङ) प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पञ्चमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी अमावस्या।

योग्यताविस्तारः

"तिथि' शब्दस्य "कला" शब्दस्य च शब्दरूपाणि कुरुत्।

"चक्रवत् परिवर्तन्ते दुःखानि च सुखानि"

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)

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